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प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 25)






कई मोड़ो को पार करते हुए अनि घने जंगलों में प्रवेश करते जा रहा था। इस वक़्त वह पैदल चल था, उसके चेहरे पर विषाद के कोई चिन्ह नहीं थे। उसे इस घने जंगल का जरा सा भी खौफ नहीं था। वह पागलों की तरह चलता जा रहा था,  सामने ढलान था। वह ढलान इतनी दूर तक जा रहा था कि जैसे अंधेरे में खो गया हो। शायद जंगल की गर्त में एक और जंगल पल रहा था।

'क्या बताऊँ यार इन्होंने मेरी जिंदगी को झंडुबाम बनाकर रख दिया है, देखो न क्या से क्या हो गया देखते देखते..! मैं दिल का तन्हा हो गया।

क्या खांसी खांसी ज़िंदगी चल रही थी, अबे जुखाम वाली खांसी नहीं! बहुत उल्टा उल्टा समझते हो तुम लोग! बदतमीज़ हो गए हो हाँ!

कोई भाव नहीं देता मुझे, एक ने चार चवन्नी दी थी, उसके बाद से मैं थोड़ा अमीर हो गया। सोने के सिक्के थे यार! कितना समझाऊं कोई समझता ही नहीं! एक तो कोई ढंग का रेस्पॉन्स तक नहीं करता तुम लोगो में!

हाँ तो मैं बहुत अमीर हो चुका था, मगर किसी ने मुझे नींद से जगा दिया, हाँ मेरा मतलब सिक्के चुरा लिया अब उसी की तलाश में अटका हुआ हूँ! कहाँ है ओ मेरे दिल के चैन…!

हेलो दोस्तो! मैं हूँ आपका प्यारा हनी बनी यानी अनि! लोग मुझे प्यार से सुप्रीम ईगल भी कहते हैं। मगर प्यार नहीं करता है यार कोई… जग सूना सूना लागे तेरे बिन, कट गई राते अब कटे ना दिन!

चीफ को खबर मिली दिल्ली में दिलवालों की कमी होनी वाली है, मतलब कोई यमराज जी से सीधा कॉन्ट्रैक्ट लेकर बैठ गया और पता चला वो इस देवभूमि पर अपने पापा के क्रम मतलब पापकर्म को आरम्भ कर चुका था।

मुझे पहले शक हुआ कि मसूरी में कुछ खास है ढूंढा भी मगर कुछ नाराज़ न आया, दिखाई ही नही दिया हमको! साला हम बौराये हुए देहरादून पहुंच गए वहां भी हमारा लंबा वाला कट गया और मिस्टर बर्बादी जैसे बर्बाद इंसान को झेलना पड़ा।

उन्हें झेले तो पता चल हम भी डिमांड में आ गए हैं इसलिए दिमाग से खाली स्थान वाले भैया ने हमें अपनी बहन का सइयाँ मानने से इनकार कर दिया और इस तरह हम अपनी होने वाली काल्पनिक बीवी के आभासी भाई के वास्तविक गुंडों के हाथों पीट दिए गए! पर तिहारा अनि किसी से कम है के?

बाद में पता चला जिगर का टुकड़ा, दिल को छलनी करके खिड़की से गायब हो चुकी हैं! अरे मेरे नहीं पप्पा जी की, बाप हो तो ऐसा! सामने होते तो टेंटुआ दबा देते वो मेरा! मगर हम सोंचे की पहले इधर मुँह मार लें फिर मरते रहेंगे।

लेकिन अभी सस्पेंस कम न हुआ था, हमको अकेले मिशन पर भेजा गया था पर ये लोग काली भेड़िया को भी भेज चुके थे, हमको बड़ा गुस्सा आया लेकिन उन तक नही पहुँचने  दिए हम उस गुस्से को! फिर क्या हुआ काली भेड़िया जी ने हमको बताया कि यहां कोई काला जंगल है जिसके काले साये में कुछ काला काला झींगा लाला करने के लिए खाली स्थान भैया ने इतनी सारी काली करतूते करवाया था। अब क्या हमरा खून खौल उठा, दस ग्राम तो जलकर उड़ भी गया, हमका करनी थी काले जंगल की तलाश, इसलिए मंगलमूर्ति श्री हनुमान का नाम जपे और जंगल में अमंगल करने चल पड़े।

अरे राम! ई का? ठीक है हमका ब्रॉडकास्टिंग रोकना पड़ेगा, वैसे जुड़े ही रहना हमारे साथ, पहले इनकी बैंड बाजा लें फिर….'

अब तक अनि काफी नीचे आ चुका था, उसके आसपास सघन अंधेरा था मगर फिये भी वह अपने आसपास उन सभी की आहट को महसूस कर सकता था। जंगल में चारों तरफ नकाबपोश फैले हुए थे, वे संख्या में करीब दस थे, अनि अपनी मस्ती में आगे बढ़ता ही जा रहा था। एक नकाबपोश उसके ऊपर गन ताने सामने खड़ा हो गया मगर अनि ने उसपर कोई ध्यान नहीं दिया बल्कि धकेलता हुआ एक साइड कर आगे बढ़ता चला।

"ओये! इधर कहाँ चला आ रहा है ? तुझे मरने से डर नहीं लगता क्या?" वह नकाबपोश अनि के पीठ पर बंदूक की नाल रखते हुए बोला।

"क्यों ये आपकी जगह है?" अनि पीछे घूमते हुए मासूम स्वर में पूछा। उस नकाबपोश को जवाब देते नहीं बना।

"क्या ये जगह आपको दहेज में मिली है?" अनि ने अगला सवाल दागा।

"अजीब आदमी है! तुम्हें बंदूक से डर नहीं लगता क्या?" उस नकाबपोश ने अनि की छाती पर बंदूक की नाल टिकाते हुए कहा।

"क्या ये जगह आपके पिताजी छोड़कर गए थे!" अनि ऐसे बोला जैसे वह जवाब न मिलने से नाराज हो गया हो।

"नहीं! मगर अगर तुम्हें कुछ दिन और जीना है तो यहां से वापिस चले जाओ!" वह नकाबपोश गरजा।

"क्या करूँगा जीकर?" अनि लगभग रोते हुए बोला। "इस जिस्म में कहां जीने के अरमान बाकी है? बस सांस चल रही है मुझमें कहाँ जान बाकी है??"

"क्या हुआ?" अनि को ऐसे रोते देख वह नकाबपोश थोड़ा नरम पड़ गया था। अब तक सभी नकाबपोश अनि के पास आ चुके थे और उसे घेरकर खड़े हो गए।

"मैंने प्यार किया था!" अनि ने रुवांसे स्वर में बोला।

"हाँ!" सभी ने एक साथ हाँ में हाँ मिलाया।

"इजहार किया था!"

"हाँ!"

"ऐतबार किया था!"

"हाँ!"

"बार बार किया था!"

"हाँ तो?"

"उसके घरवाले नहीं मानें!"

"क्यों?"

"इनकार कर दिया उसने भी!"

"क्यों?"

"दिल तोड़कर तार तार कर दिया उसने भी?"

"पर क्यों?"

"बताया तो उसके घरवाले नहीं माने!"

"अच्छा! कौन कौन है उसके घर में!"

"एक बकरी, दो बैल….!"

"अबे फैमिली मेंबर बता!"

"छोड़ो मुझे मर जाने दो!"

"पर क्यों?"

"भाई उसने मुझे छोड़ दिया!"

"ओह!"

"तन्हा किया, तोड़ दिया!"

"ओहो!"

"अब मरने के अलावा बचा क्या है!"

"भाई तू वापिस लौट जा!" एक ने इमोशनल होते हुए कहा।

"नहीं! पहले मेरे सवाल का जवाब दे उसकी फैमिली में कौन है!  सालों बाद आज मेरी आँखो में आँसू आये हैं, हम उससे तेरी शादी करा देंगे!" दूसरे नकाबपोश ने भावुक होकर कहा।

"भाई आप महान हो, देतवा रूपी इंसान हो!" अनि ने हाथ जोड़े हुए कहा।

"तो बताओ जल्दी!"

"वरी नॉट डूड! जल्दी ही उधर पहुँचने वाले हो!" अनि बुदबुदाया।

"क्या कहा? कुछ सुनाई नहीं दिया!"

"भाई मैंने अपनी दुखभरी कहानी सुनाई, मगर अब तक मैंने आप लोगो की खुशबूरत शक्ल नहीं देखी है, आपके अलावा मेरा कोई नहीं है इस दुनिया में..! आप लोग कितने अच्छे हो..!" अनि लगभग रोते हुए उस नकाबपोश के गले लग गया।

"आज तक किसी ने हमें भाई नहीं कहा, अब बता उसके परिवार में कौन कौन है?" उस नकाबपोश ने अपना नकाब हटाते हुए कहा। उसके ऐसा करते ही सभी ने अपने अपने नकाब हटा दिए।

"अब बताओ!" उसने पूछा।

"रुको पहले गिन तो लूँ!" अनि ने जवाब दिया।

"क्या?"

"यही कि मुझे कितने गड्ढों की खुदाई करनी है, आई मीन मेरे कितने भाई हैं।" अनि ने दांत दिखाते हुए कहा।

"बता उसने तुझे मना क्यों किया, इतना हट्टा कट्टा और जवान तो है!"

"बताया तो भाई उसकी फैमिली ने!"

"उसकी फैमिली में कौन कौन है?"

"एक, एक साल का छोटा बच्चा  और उसका पति! जो एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता है!" अनि ने झर झर आँसू बहाते हुए कहा।

"साले हमको ऐड़ा समझ रखा है क्या? कब से इसलिए बकवास सुनाए जा रहा था?" उसने अपना नकाब पहनते हुए बंदूक की मूठ से अनि पर प्रहार किया मगर तब तक अनि अपनी जगह से हट चुका था।

"अभी तो भाई बोले थे अभी ही साला बोल दिये? बहुत नाइंसाफी है ये!" अनि रूठता हुआ बोला। तभी एक नए उसके गर्दन पर जोरदार किक मारा, अनि धड़ाम से नीचे गिर गया, सभी ने उसे घेरते हुए अपनी बंदूकें तान दीं।

"देखो भिड़ू लोग अपुन को जानना था अपुन ने जान लिया, शकल वकल भी देख लिया ताकि जब यमराज से मिलने जाऊं तो उनको कह सकूँ कि इनको मैंने ट्रांसपोर्ट किया है वो भी बिना किसी पेमेंट के!" चेहरे पर जमाने भर की कुटिलता भरी मुस्कान समेटे अनि बोला।

"ज्यादा स्याणा न बन छोरे! यहां तेरी मदद करने वाला कोई नहीं है!" एक अन्य नकाबपोश ने उसे धमकाते हुए बोला। "बेहतर यही है कि तू अपने भगवान को याद कर ले, ताकि हम आराम से उसके ही पास पहुंचा दें।"

"क्या भैया आप लोग तो दिल पर ले गए, खाली स्थान भैया का अच्छा खासा परिभाव पड़ा है आपके थोबड़े पर! टेंशन मत लो मैं तुम्हारी बहन से इश्क़ नहीं लगाऊंगा, एकदम पक्का वाला बालब्रम्हचारी हूँ यार!" अनि नें हँसते हुए कहा, मगर ये बात उन सभी को समझ न आई, इतना सुनते ही वह नकाबपोश गुस्से से भर गया और अनि के सिर पर गन पॉइंट किया।

"चलाओ गोली! बना दो अपनी बहन को शादी से पहले विधवा! उजाड़ दो उसका सुहाग। लाज शरम तो आती नही  है आपको, बड़े बदतमीज़ हो गए हो साले साब आप!" अनि गुस्से से चिल्लाया, जिसे सुनकर वह नकाबपोश और अधिक गुस्से से भर गया। तभी वहां कुछ बहुत तेजी से आता हुआ दिखाई दिया!

"ओ मेरे दिल के चैन!" अनि अपने ही स्थान पर तेजी से घुमा! और एक के हाथ से गन छीनते हुए उसे धक्का देकर ऊपर की ओर उछला।

"जिओ मेरे शेर!" क्रेकर पर सवार होता हुआ अनि मुस्कुराकर बोला। "बिल्कुल सही टाइम पर पधारे हो।"

"आपका कमांड मिलते ही मैं रेडी हो गया था सर!" क्रेकर ने अपने चिर परिचित मशीनी आवाज में जवाब दिया।

"अबे यार ये क्या सर सर लगा रखा है अनि नहीं बोल सकता क्या? कितनी बार कहूँ…!" अनि दिखावटी गुस्सा करता हुआ बोला।

"मगर आपने पहले कभी नहीं कहा है सर!" क्रेकर ने कहा।

"अरे नहीं कहा तो क्या हुआ तुम मेरे बाप थोड़े हो जो हर बात कहनी पड़े! समझा करो यार!" अनि ने झल्लाते हुए कहा।

"ओके सर!  पर पहले इन सभी से निबट लिया जाए!" क्रेकर ने उनकी ओर लगातार फायर झोंक रहे नकाबपोशों की ओर अनि का ध्यान आकर्षित कराते हुए बोला।

"अरे यार अब फिर से हड्डियां टूट जाएंगी!" अनि ने डरने की एक्टिंग करते हुए कहा। "अरे मेरी नही पगले, इनकी।" कहता हुआ अनि नीचे कूद गया।

"ये क्या सर बोलते तो मैं रूक जाता!" क्रेकर अपनी ही जगह पर खड़ा हो गया।

"अरे यार गोली खर्चा करने की क्या जुराजत है! बैठ के बात प्यार से करते हैं न!" उन सभी के सामने जाकर खड़ा होता हुआ बोला। तभी एक गोली उसके बालों को छूती हुई निकल गयी।

"हट बुड़बक! हेयर स्टाइल बिगाड़ दिया न मेरा! ओके सॉरी, अब तुम अपनी बहन की विदाई में नहीं जा पाओगे! और हाँ सगाई में भी नहीं!" जबरदस्त ट्रीपल फ्लाइंग टर्न लेकर उछलते हुए अनि ने उसके थोड़े पर जोरदार किक जड़ दिया। मगर ऐसा करके वो सबके निशाने पर आ चुका था, उन सभी की गोलियों से एक साथ बच पाना असंभव था।

"क्रेकर अब क्या तू मेरी मौत का मातम मनाने भी नहीं आएगा! कैसा यार है, यार तू!" नाराजगी भरे स्वर में चिल्लाते हुए बोला। अगले ही पल वातावरण क्रेकर की आवाज से भर गया, उसकी लाइट्स ने वातावरण के धुंधलेपन को समाप्त कर दिया था। एक सेकंड को सभी
का ध्यान क्रेकर की ओर चला गया, तेज रोशनी में सभी की आँखें चौंधिया गई और कुछ पलों के लिए उन्हें दिखाई देना बंद हो गया। इतना समय अनि के लिए काफी था। अगले ही पल वह वहां से गायब हो चुका था।

"ये कहाँ चला गया?" एक ने अनि को वहां न पाकर पूछा।

"गजब का आदमीं है, खुद सामने आता है खुद ही छिपने भागता है!" दूसरे ने कहा।

"पर वो क्या है?" किसी मे क्रेकर की लार इशारा किया मगर उसने अपनी लाइट्स बुझा ली थी, अब पहले से ज्यादा घना अंधेरा महसूस हो रहा था। सभी अनि को ढूंढने के लिए चारो तरफ फैल गए थे, सावधानी की दृष्टि से उन्होंने अपने हेलमेट्स की लाइट को जलाना सही नहीं समझा।

तभी एक नकाबपोश ने महसूस किया कि उसकी गर्दन भींचती जा रही है मगर वह चूहे की तरह  चूं चूं करने के अलावा कुछ न कर सका।

"बड़े प्यार से मार रहा हूँ, बुरा मत मानना! नरक में मिलेंगे!" कहते हुए अनि ने उसकी गर्दन मरोड़ दी, उसके गले से एक बेआवाज चीख निकली जो कि गले में ही सिमटकर रह गयी, क्योंकि अनि के मजबूत हाथो ने उसके मुंह को ढक्कन की तरह मजबूती से बंद कर रखा था। उसे सावधानी से जमीन पर लिटाते हुए अनि आगे बढ़ा, एक के बाद एक तीन चार को मार दिया।

"ये क्या है?" किसी चीज से टकराते हुए वह नकाबपोश बोला। "लाश! वो मार रहा है सबको! ढूंढो और भून डालो उसे!" वह गुस्से से चिल्लाया।

"अब तो मैं खुद ही भुट्टा बनने को तैयार हूँ मालिक!" क्रेकर पर सवार अनि मुस्कुराते हुए बोला।

"भून डालो उसे!" अनि पर गोलियां चलाते हुए वह बोला।

"तुम्हें क्या करना है क्रेकर? तुम भी भुनोगे या पकाओगे!" अनि ने क्रेकर से पूछा।

"फिलहाल तो तलने का सिस्टम अपलोड हुआ है सर!" क्रेकर ने कहा। अगले ही क्षण उसके हेडलाइट के बगल में दो छोटे छोटे स्लॉट बन आये, जिनमें से छोटी छोटी कुछ गेंदे निकलते हुए उन नकाबपोशों के पास गिरी। जमीन के सम्पर्क में आते ही वह गेंदें फट पड़ी जिनमें से अजीब सी बू आने लगी, उन नकाबपोशों का दम घुटने लगा, धीरे धीरे उनकी त्वचा उतरने लगी, सबके सब बहुत बुरी तरह तड़पते हुए भागने की कोशिश कर रहे थे मगर लड़खड़ाते हुए वही गिर गए, थोड़ी देर और तड़पने के बाद उन्हें मुक्ति मिल गयी। मगर अनि अब तक इस जगह से बहुत दूर जा चुका था।

"वाओ सर! मुझे नहीं पता था आप इतने बड़े केमिस्ट और टेक जीनियस भी हैं!" क्रेकर प्रसन्नता भाव से बोला।

"अभी तो तुम हमारे बारे में कुछ नहीं जानते प्यारे!" अनि ने मुस्कुराते हुए कहा। "अब चलो, देखते हैं इस काले जंगल में ऐसा क्या है जिसके लिए हर तरफ लाली बहानी पड़ रही है।" दोनों उस जंगल के घने काले अंधेरे में घुसते चले गए।

क्रमशः….


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4 Comments

Amir

29-Nov-2021 09:44 PM

Waah bhai itni khubsurti se likha hai aapne bas intezar hi badha diya agle part ka

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Seema Priyadarshini sahay

29-Nov-2021 04:34 PM

बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति सर

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Zakirhusain Abbas Chougule

24-Nov-2021 11:39 PM

Nice

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